कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लेकर की गई टिप्पणी पर विवाद गहरा गया है। राष्ट्रपति भवन ने इसे "अस्वीकार्य" और "उच्च पद की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला" बताया है।
क्या है पूरा मामला?
हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बारे में एक टिप्पणी की, जिसे लेकर सियासी हलकों में बहस छिड़ गई। उनकी टिप्पणी को विपक्षी दलों ने अनुचित बताया और इस पर तीखी प्रतिक्रियाएं दीं।
राष्ट्रपति भवन की प्रतिक्रिया
राष्ट्रपति भवन के आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इस तरह की टिप्पणियां "गलत और दुर्भाग्यपूर्ण" हैं। बयान में यह भी कहा गया कि राष्ट्रपति पद संविधान के तहत सबसे उच्च स्थान रखता है और उसकी गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली कोई भी टिप्पणी स्वीकार्य नहीं हो सकती।
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
- भाजपा: भाजपा ने सोनिया गांधी की टिप्पणी की निंदा की और इसे "राजनीतिक मर्यादा के खिलाफ" बताया।
- कांग्रेस: कांग्रेस ने अपने बचाव में कहा कि उनकी टिप्पणी का गलत अर्थ निकाला जा रहा है और इसे राजनीतिक मुद्दा बनाया जा रहा है।
- अन्य विपक्षी दल: कई विपक्षी दलों ने इस विवाद पर अपनी अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी हैं।
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सोनिया गांधी की टिप्पणी पर राष्ट्रपति भवन की कड़ी प्रतिक्रिया
हाल ही में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लेकर की गई टिप्पणी पर विवाद खड़ा हो गया है। इस पर राष्ट्रपति भवन ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसे "गलत और अस्वीकार्य" बताया है। राष्ट्रपति भवन का कहना है कि यह टिप्पणी राष्ट्रपति पद की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली है और इस तरह की बयानबाजी लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।
राष्ट्रपति भवन की प्रतिक्रिया
राष्ट्रपति भवन के प्रवक्ता ने कहा कि:
*"राष्ट्रपति देश का सर्वोच्च संवैधानिक पद है और इसकी गरिमा बनाए रखना सभी नागरिकों की जिम्मेदारी है। किसी भी तरह की *असम्मानजनक टिप्पणी न केवल व्यक्तिगत रूप से राष्ट्रपति का अपमान है बल्कि यह पूरे संवैधानिक ढांचे को कमजोर करने का प्रयास भी है।"
राष्ट्रपति भवन का यह बयान दर्शाता है कि सरकार इस तरह की टिप्पणियों को गंभीरता से ले रही है और किसी भी प्रकार के "अनुचित राजनीतिक विमर्श" को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं
भाजपा की प्रतिक्रिया
भाजपा ने सोनिया गांधी की टिप्पणी की कड़ी निंदा की। केंद्रीय नेताओं ने कहा कि "कांग्रेस का यह रवैया आदिवासी महिला राष्ट्रपति का अपमान है।" भाजपा प्रवक्ता ने सोनिया गांधी से माफी मांगने की मांग भी की।
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कांग्रेस का पक्ष
कांग्रेस ने इस विवाद पर सफाई देते हुए कहा कि सोनिया गांधी के बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है। पार्टी के अनुसार, यह मुद्दा राजनीतिक फायदे के लिए उछाला जा रहा है और इसका उद्देश्य कांग्रेस को बदनाम करना है।
अन्य विपक्षी दलों की राय
- कुछ विपक्षी दलों ने भी सोनिया गांधी की टिप्पणी पर असहमति जताई और इसे "अनावश्यक विवाद" बताया।
- कुछ दलों ने इसे "भाजपा की राजनीतिक रणनीति" करार दिया और कहा कि सरकार असल मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए ऐसे विवाद खड़े कर रही है।
लोकतंत्र और राष्ट्रपति पद की गरिमा
राष्ट्रपति पद संविधान द्वारा संरक्षित एक सम्माननीय पद है और इसकी गरिमा को बनाए रखना सभी राजनीतिक दलों की ज़िम्मेदारी है। राष्ट्रपति न केवल देश के संवैधानिक प्रमुख होते हैं बल्कि वे किसी पार्टी से ऊपर होते हैं। ऐसे में उनके खिलाफ की गई किसी भी टिप्पणी को राजनीतिक मर्यादा का उल्लंघन माना जाता है।
क्या होगा आगे?
- भाजपा इस मुद्दे को और उछाल सकती है और सोनिया गांधी से माफी की मांग कर सकती है।
- कांग्रेस इसे राजनीतिक षड्यंत्र बताकर अपना बचाव करने की कोशिश करेगी।
- यह विवाद संसद और चुनावी राजनीति में भी गूंज सकता है।
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